सुश्री मार्वल यूनिवर्स, गाने की पंक्तियों के पार
जो कुछ भी सीख, गलतियों से ही तो पढ़ा मैंनेखुद को संभला, गिर के ही तो उठना चाहता हूंजब भी बिखरी तोह, बिखर के सीमाना सीखा मैंनेजब ख्वाब टूटे, तब भी उनको पूरा करना सीखा मैंने…दुनिया तो बोलती थी बोलती रहेगी, हिम्मत का है परवाना, परवाज़ है होसलों का (मैंने जो कुछ भी सीखा, मैंने … Read more